वहाँ पानी का बहाव तेज था और पानी बहुत ठंडा था। कुछ देर बाद हम बिजनौर के लिए चले क्यूँकि पूरे दिन की थकन हावी हो रही थी
मैं क्या मोहल्ले के एक भी आदमी बीते हुए वर्षों में एक बार भी सब्जी खरीदते हुए नहीं देखा।अब तो सब्जी वाले भी भगवान से दुआ...
ये यानी मेरे पतिदेव मनीष सिंह मुस्कुराए और मैं और ये चल पड़े फरवरी की इस बारिश वाली शाम में भुट्टा खाने।
मैंने अपनी जेब से रूमाल निकाला और उसके एक छोर से विधि के हाथ् को गांठ बांधकर दूसरे छोर से खुद के हाथ को गांठ बांधी और
गुरु के लिए सच्ची भक्ति और जिम्मेदारी का निर्वाह करने की शिक्षा देती लघु कथा.....
फिर कभी मुलाकात नहीं हुई। अमिता की मुलाकात पवन से, लेकिन जब भी बारिश आती है अमिता को वो बरसात की रात जरूर याद आती है।