आज बारिश से सामने पेड़ों की पत्तियां धुल गयी थीं मानो अभी अभी नहा के उतरी हों। आज बारिश से सामने पेड़ों की पत्तियां धुल गयी थीं मानो अभी अभी नहा के उतरी हों।
उससे नहीं, जिसकी माँग इससे सजी हुई हो। उससे नहीं, जिसकी माँग इससे सजी हुई हो।
घर आते आते मैं भी बच्चो की तरह गढ़ो में भरे पानी में उछल रही थी। मेरा बचपन वापस आ गया घर आते आते मैं भी बच्चो की तरह गढ़ो में भरे पानी में उछल रही थी। मेरा बचपन वापस ...
वह शाम ना भूली मेरे जहन से आज तक, जब मैं वापस आई गुरुद्वारे से मन कर शांत। आंख कब लग गई मेरी मुझे नह... वह शाम ना भूली मेरे जहन से आज तक, जब मैं वापस आई गुरुद्वारे से मन कर शांत। आंख क...
"मैं चींटा ही तो हूं, उस कागज़ की नाव में; जो पुनः पुनः अपना रूप बदलती रहती है। "मैं चींटा ही तो हूं, उस कागज़ की नाव में; जो पुनः पुनः अपना रूप बदलती रहती है।