यह कहानी इश्क़ के उस पहलू को दर्शाती है जहाँ विश्वास और भरोसा ज़िन्दगी में सच्चे प्यार को जनम देता है।
नहीं बोल सकती तो जा वापस और सो किसी और के साथ सारी जिंदगी
आखिरी रस्म भी चाय पिलाई की थी
बुआ दादी बातों के साथ-साथ अपनी अनुभवी नज़रों से रमा और नई बहू को तोल भी रही थी।
शुचि की सास ने उससे कहा, तुम्हें बहू को घर में प्रवेश करवाना है, यह मंगल कार्य केवल और केवल तुम करोगी क्योंकि हेमंत का अ...
तुम्हें चमकाना जिसका जुनून था। शायद मेरा यह खत देख कर तुम मुझे पहचान पाओ। इस उम्मीद म