एक युगल एक दूसरे से संकुचाते एक दूसरे के साथ रात्रि बिताते हुए। प्रेम में भरी व्यथा का सुंदर चित्रण कथा के इस अंश में
तभी मौलवी की निगाहें उस्मान की दोनों बहनों पर पड़ी, वो दोनों भी रंगों में सराबोर थी। मौलवी साहब को बेहद नागवार गुजरा ये,
उसको मजहब से कोई सरोकार जो ना था
एक कहानी
पर जब थोड़े से बड़े हुये तो आँखो का सूनापन पढ़ने लगे
वो जानमाज़ आज भी मेरी ख़ुसूरत यादों में है जब भी नमाज़ अदा करती हूँ ,ऐसा महसूस होता जैसे मैं आज भी....