मैं रायपुर में हूँ कल्पना मैं आज नहीं आ पाउंगा , कल मिलेंगे।
लेखक: निकलाय नोसव अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
दोनों निश्चिंत होकर एक साथ लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे थे। बस मौज़ थी। बेखौफ जिंदगी थी, कोई जिम्मेदारी नहीं थी। खर्च के ...
... बल्कि कस कर बंद भी कर लिया ताकि मुझे कुछ और सुनाई न दे !
हद हो गई, स्वयं शिक्षिका होकर झूठ बोलना सिखा रही थीं।
,"ठीक किया तूने बेटा, एकदम ठीक किया. जो माँ-बाप अपने बच्चे को एक रोटी तक नहीं दे सकते,