बिती मुस्कान
बिती मुस्कान
इन मौसमों की तरह
ऊसे भी बदलता देख लिया हैं
किया हुआ वादा भी
पलटता देख लिया हैं
नजरोंने तो पहली ही
मुलाकात में इन्कार कर दिया था,
क्यूँकी इससे पहले एक बार
ये दर्द इनहोणे सेह लिया था
दिल के सामने आज तो
सही में नजर जित गयी
उसने दी हुई झूठी मुस्कान
अब बीत जो गयी !