सभ्यता लावारिस कूड़े ख़याल हिंदी कविता दिल रात बरसात देह मुख अंग hindikavita नारी मूर्ती नहीं इंसान है माँ भगवान है माँ साक्षात् ईश्वर का स्वरूप ह माँ से बढ़कर और कुछ भी नहीं है।

Hindi साक्षात् Poems