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जज्बात ज्ञान दूज़ी लहर विश्वगुरु फिर बनेगा जग सिरमौर ध्यान सब उत्कृष्ट वो जश्न कोई मना न सके धीरज तो हम कभी न छोड़ें कोई बहला सके हमें न creation काबू है हमने पाया जश्न बिगाड़ सके न कुछ भी कोरोना चाह हो श्वान भौंक रहे भौंकने दो मृग मरीचिका विरोध दिल

Hindi सके Poems