तान- प्रेम की छेड़ - धीरे से मुझको बुलाता राधा संग रास रचा खिड़की से गाता चांद तान- प्रेम की छेड़ - धीरे से मुझको बुलाता राधा संग रास रचा खिड़की से गाता चां...
उलट-पलट रहता है चलता, न रहते सब दिन एक समान। उलट-पलट रहता है चलता, न रहते सब दिन एक समान।