जब न मंदिरों में घंटे बजे न मस्जिदों में चहल कदमी हुई। जब न मंदिरों में घंटे बजे न मस्जिदों में चहल कदमी हुई।
खुदा के बारगाह से पैगाम आ रहा है, मेरा बरकत महीना माहे रमज़ान आ रहा है। खुदा के बारगाह से पैगाम आ रहा है, मेरा बरकत महीना माहे रमज़ान आ रहा है।
जिसे गले मे लटकाये मैं घूम रही थी अभी तक गजब का असर दिखा इस तमगे़ को उतारते ही मेरी गर्दन जो बोझ... जिसे गले मे लटकाये मैं घूम रही थी अभी तक गजब का असर दिखा इस तमगे़ को उतारते ह...
झुकता वही है सजदों में रब के, जिसका मुक़म्मल ईमान है। झुकता वही है सजदों में रब के, जिसका मुक़म्मल ईमान है।