आँखें खुली तो खुद को बिस्तर पर पाया ये तो हमें स्वप्न था आया ! आँखें खुली तो खुद को बिस्तर पर पाया ये तो हमें स्वप्न था आया !
साँच को आंच नहीं आती, और झूठ के पांव नहीं होते। साँच को आंच नहीं आती, और झूठ के पांव नहीं होते।
मुहावरे लोकोक्तियों से सजी है, साहित्य इसका प्रसिद्ध है मुहावरे लोकोक्तियों से सजी है, साहित्य इसका प्रसिद्ध है
मातृभाषा हिन्दी, माँ सी हमें प्यारी है , बच्चों की दुलारी है । मातृभाषा हिन्दी, माँ सी हमें प्यारी है , बच्चों की दुलारी है ।