दस्तकारों के हाथों की कारीगरी, महीन रेशों पर बनारस की ज़री। दस्तकारों के हाथों की कारीगरी, महीन रेशों पर बनारस की ज़री।
खामोश रहते हैं और बे-ज़ुबानी सुनाते हैं... खामोश रहते हैं और बे-ज़ुबानी सुनाते हैं...
बड़ी मासूम है, बड़ी कोमल है, जैसे रेशम का धागा... ज़िन्दगी... ज़िन्दगी है ! और ज़िन्दगी खेल नहीं !! ... बड़ी मासूम है, बड़ी कोमल है, जैसे रेशम का धागा... ज़िन्दगी... ज़िन्दगी है ! और ज...
सब कुछ सहना है मगर तुम्हें अपना नाम नहीं लेना है, आदमी तभी हो तुम जब तुम्हें कोई ईनाम नहीं लेना है, सब कुछ सहना है मगर तुम्हें अपना नाम नहीं लेना है, आदमी तभी हो तुम जब तुम्हें को...
मखमली पलंग नी मजा, बे दिलोनी सजा। मखमली पलंग नी मजा, बे दिलोनी सजा।
ठीक है फिर हम भी जी लेंगे, भरे मन, बिन तुम्हारे। ठीक है फिर हम भी जी लेंगे, भरे मन, बिन तुम्हारे।