एक अनजान बस्ती में जहाँ फैली हुई थी मुट्ठी भर निःशब्धता एक अनजान बस्ती में जहाँ फैली हुई थी मुट्ठी भर निःशब्धता
पहली किरण के साथ किया अपना श्रृंगार है हर्षित हुआ मन नृत्य करता मानो सारा संसार है मन हुआ सतरंगी स... पहली किरण के साथ किया अपना श्रृंगार है हर्षित हुआ मन नृत्य करता मानो सारा संसार...
मुझे देखकर हर्षित होकर, पुलक उठा था सबका मन। मुझे देखकर हर्षित होकर, पुलक उठा था सबका मन।