मैं गोधूलि और संध्या के समय रो लेती हूँ जो शून्य करता है मेरा होना... मैं गोधूलि और संध्या के समय रो लेती हूँ जो शून्य करता है मेरा होना...
कुछ दिलों में मेरे प्रति मलिनता का हो रहा है मुझको काफी स्पष्ट आभास। कुछ दिलों में मेरे प्रति मलिनता का हो रहा है मुझको काफी स्पष्ट आभास।