हुस्न के बाज़ार का अब बाशिंदा हो गया हुस्न के बाज़ार का अब बाशिंदा हो गया
भ्रातृ-प्रेम होता है कैसा यह रामकथा बतलाती है धर्म हेतु पुत्र मोह करें न हमें ऐसा पाठ भ्रातृ-प्रेम होता है कैसा यह रामकथा बतलाती है धर्म हेतु पुत्र मोह करें न हमें...