विस्मय की घड़ी हो,या खुशी का मंजर निश्छल बन, बिना किसी स्वार्थ के आगे बढ़ना । विस्मय की घड़ी हो,या खुशी का मंजर निश्छल बन, बिना किसी स्वार्थ के आगे बढ़ना ।
हर लम्हा बीत जाता है तभी तो जरा सी देर में मंज़र बदल जाता है। हर लम्हा बीत जाता है तभी तो जरा सी देर में मंज़र बदल जाता है।
हमारा दिल एक दिन दृढ़ हो जाता है। हमारा दिल एक दिन दृढ़ हो जाता है।
तो पिता से जीवन जीने का नाम संग दृढ़ आधार मिलता है। तो पिता से जीवन जीने का नाम संग दृढ़ आधार मिलता है।
विफलता का जब हो आभास देख चींटी का अथक प्रयास। विफलता का जब हो आभास देख चींटी का अथक प्रयास।
यौवन ने जब ली अंगड़ाई भ्रष्टाचार से लड़ने लगा लड़ाई घर में अनुशासन और थी कड़ाई ध्यान में रहती थी ... यौवन ने जब ली अंगड़ाई भ्रष्टाचार से लड़ने लगा लड़ाई घर में अनुशासन और थी कड़ाई...