STORYMIRROR

साथ निभाएं आजीवन प्रफुल्लित रखना है मन युवा काल रंग शाम दोपहर सांस ज्योति के वाहक खुश शीशा वक़्त नदी के बिंबों में ढलती स्त्री... एकं दूजे के इकलौते साथी यौवन पाणिग्रहण शरीर मेहरबान ताजा ढलती उम्र का दुख धूप

Hindi ढलती Poems