दोपहर प्रफुल्लित रखना है मन खुश धूप घायल एकं दूजे के इकलौते साथी रंग शरीर बदौलत वक़्त मेहरबान ढलती उम्र का दुख सुबह सांस ढलती वय समस्याएं पाणिग्रहण युवा काल शीशा नदी के बिंबों में ढलती स्त्री... साथ निभाएं आजीवन

Hindi ढलती Poems