प्रेम पिपासा की गहनता सदा आँखों को खोले ,पलकों को टांगे रहती है । ....................... प्रेम पिपासा की गहनता सदा आँखों को खोले ,पलकों को टांगे रहती है । .................
आई सबै ब्रज गोपालजी ठिठकी आई सबै ब्रज गोपालजी ठिठकी
शाम से कोई साया सा लिपटा है मेरे मन से भी शाम से कोई साया सा लिपटा है मेरे मन से भी