बार बार टूटकर बिखरने को तो ज़िन्दगी नहीं कहते। बार बार टूटकर बिखरने को तो ज़िन्दगी नहीं कहते।
क्योंकि उस वक्त अपनों का साथ जो नहीं होता। क्योंकि उस वक्त अपनों का साथ जो नहीं होता।
क्यों ना हम भी गुलाब की, यही शिक्षा अपनाएं आओ हम मिलकर, गुण रूपी गुलाब बन जाएं! क्यों ना हम भी गुलाब की, यही शिक्षा अपनाएं आओ हम मिलकर, गुण रूपी गुलाब बन जाए...
ये कविता एक एहसास है दिल टूट जाने का साथी छूट जाने का। कभी-कभी ऐसा भी होता है दिल टूट जाता है मन बहु... ये कविता एक एहसास है दिल टूट जाने का साथी छूट जाने का। कभी-कभी ऐसा भी होता है दि...