उस प्रेम तरू के कोटर में इक पीड़ सुहानी रखी है समझ की सधी गुलेलों पे कंकड़ भर नादानी उस प्रेम तरू के कोटर में इक पीड़ सुहानी रखी है समझ की सधी गुलेलों पे कं...
सोचता ज्यादा हूँ बोलता कम हूँ मैं। खुद से कहीं अकेला पड़ गया हूँ मैं।। सोचता ज्यादा हूँ बोलता कम हूँ मैं। खुद से कहीं अकेला पड़ गया हूँ मैं।।