आँखों का गंगाजल जग की निष्ठुरता धोता है। आँखों का गंगाजल जग की निष्ठुरता धोता है।
अहिंसा का परम् ज्ञान तदमनाव धर्म उपजे बने इंसान। अहिंसा का परम् ज्ञान तदमनाव धर्म उपजे बने इंसान।
पढ़ने वाला मानता रहे इसे साहित्य भरपूर होता भले इसमें असत्य पढ़ने वाला मानता रहे इसे साहित्य भरपूर होता भले इसमें असत्य