अंगारों के नीचे की राख उड़ चली अंगारों के नीचे की राख उड़ चली
राख हो कर खाक हो गये है ख्वाब सारे, तू अंगारों को फूंककर तो देख राख हो कर खाक हो गये है ख्वाब सारे, तू अंगारों को फूंककर तो देख
देह जली तो राख हुई मन जला तो भाप हुआ...... देह जली तो राख हुई मन जला तो भाप हुआ......
पर आज किसी को बोलकर पहली बार उड़ान है मैंने भरी. पर आज किसी को बोलकर पहली बार उड़ान है मैंने भरी.
उबल रहा अब रक्त देश का ... इस कविता के माध्यम से मैं उन देश द्रोहियों को चेतावनी देना चाहता हूँ ,जो ... उबल रहा अब रक्त देश का ... इस कविता के माध्यम से मैं उन देश द्रोहियों को चेतावनी...
काश! तुमने एक बार तो अपने उसूलों को दफ़नाया होता काश! तुमने एक बार तो अपने उसूलों को दफ़नाया होता