प्रेरक प्रेरणा
प्रेरक प्रेरणा
1 min
192
जन्म जात प्रतिभा
ढक चुकी थी, कर्म
रूपी अंगारों में
अचानक मुलाकात हुई
चन्द साहित्यकारों से
अंगारों के नीचे की
राख उड़ चली
प्रस्तुति से वाह वाही की
बयार चल पड़ी।
जगी सृजन की चाह नई
उत्साहित मन राह नई
पुनः लेखनी भीग उठी
अब सेवा निवृति के बाद
नवगमन प्रेरणा दे रहा औरों
को भी उम्र की प्रतिभा
मोहताज नहीं है।
