Siddhi Diwakar Bajpai
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तेरी महफ़िल में मेरा ज़िक्र, हर रोज़ ही तो आया
मेरा ज़िक्र ही तो खास है, करें अपना या पराया।
हम वो मुक़ाम हैं जिसमें, पहुँचना नामुमकिन..........
फिर भी रोज़ ढूँढता तू, मुझमें अपना ही साया।।
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