यही वो दिन थे
यही वो दिन थे
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यही दिन रहे होंगे वो शायद
जब बादल हमारे बीच की
दूरियाँ नापा करते थे
कभी यहाँ बरसते थे,
कभी वहाँ बरसते थे
यही वो दिन है,
जो एक अरसे बाद लौटे है
और बादल?
दूरियाँ नापते नापते कही
भटक गए होंगे शायद
ना बादल ही लौटे
ना बारिशें हीं आयी,
दिन तो वही है
मगर सूखा - सा पड़ा है....