ये ज़िन्दगी...
ये ज़िन्दगी...

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भागती और दौड़ती ये ज़िन्दगी |
सब को पीछे छोड़ती ये ज़िन्दगी |
ख़्वाब थोड़े पूरा करती ये ज़िन्दगी,
और थोड़े तोड़ती ये ज़िन्दगी |
हर कदम पे है नया इक इम्तहाँ,
कोई भी समझे न इसकी दास्ताँ,
कर के हैरां छोड़ती ये ज़िन्दगी |
मासूमियत के पहन मुखौटे यहाँ,
कैसी - कैसी चाल ये चलता जहाँ,
कर के परीशां छोड़ती ये ज़िन्दगी |