ये किस समाज में रह रहे हैं हम..
ये किस समाज में रह रहे हैं हम..
ये किस समाज में रह रहे हैं हम...
जहां मज़दूर मजबूर है..
और शासक.. मगरूर!
छतविहीन मकान में,
रहने वाला..
बनाता है राेज नई इमारतें..
और पिज़्ज़ा डिलीवरी करने वाला,
भूखा ही होता है अक्सर, घर जाते जाते..
स्वच्छता प्रशंसनीय है,
पर स्वच्छ करने वाला.. निंदनीय!
राधा और कृष्ण का प्रेम, पूजनीय है यहां...
कमला और सूरज का प्रेम, अशोभनीय!
बोतल में भरने के बाद गंगाजल...
उसी में कर देते हैं अवशिष्ट तर्पण..
हमारा वाला गंगा जल को शुद्ध है ना!!
और यकीन मानिए!
हर कोई.. ऐसा ही सोच और
कर रहा है!
प्रेम की इमारत..
ताजमहल को..
दिखा कर..
करते हैं..
लाखों की कमाई!
और अपनी ही बिटिया,
प्रेम करे तो...
सम्मान हेतु कर देते हैं
उस लोक को विदाई..
हर चेहरे के पीछे,
छिपा है..
एक और चेहरा!
बजरंगबली को..
पूजने वाला..
हर शाम ढूँढता है..
कोई नया मोहरा!
यह किस समाज में
रह रहे हैं हम!!