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Shakuntla Agarwal

Others

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Shakuntla Agarwal

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"यारी"

"यारी"

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राख के ढ़ेर में,

चिंगारी ढूँढ़ती हूँ,

दफ़न हो मगर जिंदा हो,

वो यारी ढूँढ़ती हूँ,


दोस्त ही दोस्त नज़र आते हैं यहाँ,

पीठ पीछे जो कटारी न घोंपे,

वो यारी ढूँढ़ती हूँ,

यार परवान चढ़ता है,


मदहोश भी करता है,

पाक - साफ़ रात बिताये,

वो यारी ढूँढ़ती हूँ,

साथ चलते हैं थोड़ी दूर,

मगर रास्तें में ओझल हो जाते हैं,

ज़िन्दगी भर जो साथ निभाये,


वो यारी ढूँढ़ती हूँ,

बसंत में तो पत्ता - पत्ता हर्षाता है,

पतझड़ में जो गुल खिलाये,

वो यारी ढूँढ़ती हूँ,

मझधार में अटकूँ तो,

खेवइयाँ बन पार लगाये,


उस यार की यारी ढूँढ़ती हूँ,

पानी जब जलता है,

दूध उफनता है,

आफत मुझ पे आये,

यार कुलमुलाये,


वो यारी ढूँढ़ती हूँ,

बन्दगी से पहले,

आँखों में जो नूर बन उभर आये,

यारी दीपक सम,

तन - मन उजास कर जाये,

राह के शूल बीन,

पथ सुगम बनायें,


यार की पीड़ा,

मन को घायल कर जाये,

नैनन आँसू बहें,

जब यार पे आफत आये,

चाकर बन गये श्री कृष्ण भी,


जब सुदामा आये,

असुवन पैर धोये,

आसन पर बिठाये,

लखन जब मूर्च्छित,

गये राम घबराये हुए,


हनुमत बूटी लाये,

तुरन्त पँख लगाय,

यार कर्ण सा,

दिया जीवन लुटाये,

दुर्योधन की ख़ातिर,


अपने किये पराये,

यार की पहचान,

"शकुन" सुखमय हो जाये,

विपत्त में जो साथ दें,

सच्चा यार कहलाये।


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