यादें
यादें
बचपन की वो यादें, वो दोस्त पुराने,
स्कूल में वो मस्ती, वो दिन सुहाने
सुबह सुबह घंटी का वो टन टन करना,
भाग कर फिर क्लास में बेंचों का भरना
पढ़ाई का जब मन न हो, किताबें छोड़ देते थे,
सवाल टीचर पूछ न ले, आखिरी सीट लेते थे
तब हमारी पांच लोगों की टोली हुआ करती थी,
मस्त माहौल था, हर रोज होली हुआ करती थी
हम कुछ शरारती भी थे, इसलिए डांट भी खाते थे,
ज्यादा होने पर बेंच पे खड़े भी हो जाते थे
पढ़ाई से थोड़ा कटते थे, बस मौज मस्ती का खुमार रहता था,
हर वक्त छुट्टी की घंटी बजने का इंतजार रहता था
वो दिन शायद अब कभी नहीं आएंगे,
मन करता है बच्चे बन जाएँ और मम्मी से
कहें '' हम स्कूल जाएंगे ''