*याद कर लेना*
*याद कर लेना*
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लड़खड़ाए रिश्तों की डोर, तो हमको याद कर लेना
चले दिल पे न कोई जोर ,तो हमको याद कर लेना
उमड़ के आएं जब काली घटाएं नीले अंबर में
नाच उठे जो मन का मोर ,तो हमको याद कर लेना
मुहब्बत की धुनों का जब घुले संगीत कानों में
मचाने लगें धड़कनें शोर , तो हमको याद कर लेना
जो पूरी रात ख्वाबों में पुकारे कोई आ आ कर
नशीली हो उठे फिर भोर ,तो हमको याद कर लेना
जो महफिल में न चैन आए , तन्हाई भी न रास आए
न मिल पाए कहीं पे छोर , तो हमको याद कर लेना
बेवजह कसक अनजानी , जो दिल बेचैन कर जाए
भीग उठें नैनों के कोर , तो हमको याद कर लेना
