व्यवहार
व्यवहार
न देश बदलता है
न लोग बदलते हैं,
इस वक़्त का
मिज़ाज़ ऐसा है
जहां सब बदलते हैं।
कौन कहता है
आदमी आदमी पर
ऐतबार नहीं करता,
यहां देखो कितने
आदमियत के कारोबार चलते हैं।
देश के नौजवानों की
बस एक ही समस्या है
बेरोजगारी,
फिर भी देखो
व्हाट्सअप और फेसबुक पर
हर दिन नए यार बदलते हैं।
इंस्टाग्राम और ट्वीटर ने
खूब व्यस्त किया है इनको
फिर भी देखो
कहाँ यारों के
अंदाज़ बदलते हैं।
खेल अब मैदानों में नहीं
मोबाइल में सिमट आया है,
शिक्षा अब स्कूल में नही
बाज़ार में मिल रही है,
फिर भी देखो
मिट्टी से कहीं राम
तो कहीं साईंराम निकलते हैं।
अच्छा था वो दौर जो
पीर फ़क़ीरों ने देखा,
इंसान की आफत को
बस इंसान ने ही रोका,
कहीं लालच कहीं भर्त्सना
कहीं लूट कहीं खसोट,
कैसे-कैसे लोग एक-दूसरे के
अधिकार निगलते हैं।
तमाशा तो अब
कुछ नया होगा,
न देश है न देसी
सब हो रहे है विदेशी,
हिंदी को अंग्रेज़ी
चूस रही है,
संस्कृति न जाने कहाँ
अपना माथा कूट रही है,
प्यार व्यापार में
अब तब्दील हो रहा है,
अपना अब्दुला
बेगानी शादी में
दीवाना हो रहा है।
देखो यारों कैसे
पल-पल में व्यवहार
बदलते हैं।
