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Dhan Pati Singh Kushwaha

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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वसुधैव - कुटुंबकम्

वसुधैव - कुटुंबकम्

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मैं और आप सब हो जाएं हम,

देकर खुशी बांटें गम,

ये भाव दिल में रहे सदा भरा,

वसुधैव - कुटुंबकम्।


हिन्द के हम वीर हैं ,सब संकटों में धीर हैं,

मौत का हमें न डर , सच की छोड़ें न डगर,

प्यार निर्वहन में रत ,कभी छोड़ें न कोई कसर

रिपु का लेश भी न डर, टूटें बनकर के कहर

निर्बलों के रक्षक हैं , कभी होंगे हौसले न कम।

ये भाव दिल में रहे सदा भरा, वसुधैव कुटुंबकम्।

मैं और आप सब हो जाएं हम.


जो करेंगे सबको प्यार , पाएं प्यार हम भी बेशुमार

मिट जाएंगी सारी ही रार, हर दिशा में प्यार-प्यार

बचे न कोई तकरार , हर चमन में हो बहार

खत्म हो जाए वैमनस्य , होगा ऐसा चमत्कार।


हर तरफ खुशी-खुशी, होगा न कहीं भी ग़म

ये भाव दिल में सदा रहे भरा, वसुधैव-कुटुंबकम्।

मैं और आप सब हो जाएं हम.


               


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