वसुधैव - कुटुंबकम्
वसुधैव - कुटुंबकम्
मैं और आप सब हो जाएं हम,
देकर खुशी बांटें गम,
ये भाव दिल में रहे सदा भरा,
वसुधैव - कुटुंबकम्।
हिन्द के हम वीर हैं ,सब संकटों में धीर हैं,
मौत का हमें न डर , सच की छोड़ें न डगर,
प्यार निर्वहन में रत ,कभी छोड़ें न कोई कसर
रिपु का लेश भी न डर, टूटें बनकर के कहर
निर्बलों के रक्षक हैं , कभी होंगे हौसले न कम।
ये भाव दिल में रहे सदा भरा, वसुधैव कुटुंबकम्।
मैं और आप सब हो जाएं हम.
जो करेंगे सबको प्यार , पाएं प्यार हम भी बेशुमार
मिट जाएंगी सारी ही रार, हर दिशा में प्यार-प्यार
बचे न कोई तकरार , हर चमन में हो बहार
खत्म हो जाए वैमनस्य , होगा ऐसा चमत्कार।
हर तरफ खुशी-खुशी, होगा न कहीं भी ग़म
ये भाव दिल में सदा रहे भरा, वसुधैव-कुटुंबकम्।
मैं और आप सब हो जाएं हम.
