वसुधा की पुकार
वसुधा की पुकार
तुमको मैंने संतान कहा
और ना कुछ मैंने भेद किया,
नि:स्वार्थ तुम्हे पाला पोसा
पर तुमने ना संवेद किया,
ये वृक्ष मेरी संतानें हैं
भाई का तेरा नाता है,
हे पुत्र रचा जिसने तुझको
इनका भी वही विधाता है,
फिर क्यों तूने बर्बरता से
निज भाई को ही काट दिया,
मेरी झोली खाली कर दी
और कलपुर्जों से पाट दिया,
हे पुत्र बता मेरे सीने में
खंजर कैसे घोंप दिया?
रक्षक को काट दिया तूने
मुझको प्रदूषण सौंप दिया ?
मैंने तो तुम दोनों को ही
परमारथ की शिक्षा दी थी,
कुछ काज करो परमार्थ करो
मैंने तुमसे दीक्षा ली थी,
हे पुत्र बता फिर क्यों तूने
ज्ञान पुंज को क्षीण किया
निज स्वारथ के कारण तूने
मेरा दामन विदीर्ण किया।
