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Vinay Anthwal

Others

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Vinay Anthwal

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वसंतागमन

वसंतागमन

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वसंतागमन से धरती सजी है,

‌‌‌‌‌‌कृषकों के मन में उमंग भी जगी है।

पीताभ से फिर अवनि खिली है,

स्वर्णिम हमारी धरणी बनी है।

जलाशयों में जलज खिल रहे हैं,

‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌अभिसार में प्रेमी मिल रहे हैं।

सन्देश हमको कमल दे रहा है,

जीवन विमल हो ये कह रहा है।

हृदय में नेहदीप जलने लगे हैं,

प्रेमपुष्प भी अब खिलने लगे हैं।

उन्मुक्त पक्षी अम्बर में उड़कर,

मधुर राग हमको सुनाने लगे हैं।

सृष्टि स्वयं ही सजने लगी है,

प्रकृति को देखो निखरने लगी है।

मन चाहता है वसंत ही वसंत हो

हृदय भी सभी का प्रसन्न ही प्रसन्न हो।



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