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Neerja Sharma

Others

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Neerja Sharma

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वसन्त

वसन्त

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कली कली खिल उठी 

फूल खिले हैं चहुँ ओर 

वसंत रितु का हुआ आगमन 

मन में नाच उठा मन मोर ।


मन में उमंग जाग उठी 

खुश्बू घर- घर भर रही 

पंछी लगे चहचहाने 

डाली फूलों से झूल रही।


वातावरण ज्यों खिला- खिला

प्राणी जगत नव प्राण भरा 

सर्दी का खुमार अब उतरा 

मौसम अब सुहाना हुआ।


सरसों पीली लहलहा रही 

मानो सारी धरती स्वर्ण हुई 

स्वर्ग कल्पना साकार हुई

जीवन श्वासें मधुर हुईं।


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