वसंत
वसंत
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पतझड़ की उदासियों को चेहरे से झाड़ ,
नयी कोंपलों की मुस्कराहट ,
लबों पर चिपका जाता है वसंत ।
यूँ तो प्रेम में पगा रहता है मन हमेशा ,
एक पूरा मौसम ही प्रेम को ,
समर्पित कर जाता है वसंत ।
नित रोज़ नव रंग बिखेरती है प्रकृति ,
इंद्रधनुषी रंगों से प्रकृति को,
सरोबार कर जाता है वसंत ।
पूरा होने के लिए रीतना पड़ता है ,
नया पाने के लिए पुराना छोड़ना पड़ता है ,
सन्देश यही दे जाता है वसंत ।