वृद्धा
वृद्धा


तनिक देना हाथ बेटा,
इस झुकी कमर को देना साथ।
न पड़े लेना डंडे का सहारा,
तुम ही हो उम्मीद हमारा।
चलते चलते इस मुकाम पर पहुँचे,
सबकी आँखों में अब हम है खटकते।
हर कोई हमसे है कतराता,
हमसे दूर रहने के उपाय सोचता।
न आँखों से अब सपष्ट कुछ दिखता,
कानों ने भी कम कर दिया सुनना।
चलते भी है तो गिरते पड़ते,
किस किस को अपनी व्यथा सुनाते।
हर काम के लिए मोहताज है हम,
बिना सहारे कुछ न होते काम ।
याददाश्त भी साथ छोड़ने लगी,
वक़्त पर दवा लेना भी दूसरे याद दिलाने लगे।
जीवन के इस मुकाम पर है पहुँचे,
अब क्या होगा आगे यह नहीं सोचते।
भगवान की चरणों में खुद को किया है अर्पित,
हर अवस्था में अब रहते है हर्षित।