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Dr Shikha Tejswi ‘dhwani’

Others

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Dr Shikha Tejswi ‘dhwani’

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वृद्धाश्रम

वृद्धाश्रम

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वक़्त ने कैसा दिन यह दिखाया,

कितना था मुझको यह भ्रम।

मेरा अपना पुत्र ले आया,

मुझको आज वृद्धाश्रम।।


मैं अवाक् हूँ यह सोचकर,

बेटे! कैसे तुमने यह कर डाला?

अच्छी स्कूल में शिक्षा दिलाकर,

क्या इसी योग्य मैं बना पाया?


मेरी आँखें तो हुई है नम,

पर बेटे, तुम न करना कोई ग़म।

जब इत्तला मिले मेरे गुज़र जाने का,

तो आकर कृपया निभा जाना,

अपना आख़िरी धर्म।।


जाते-जाते यही दुआ करूँगा मैं हर दम।

जो दिन अपने पिता को दिखाया,

वो कभी न देखना स्वयं तुम।

अपने बेटे को कभी न बताना,

छोड़ आये पिता को वृद्धाश्रम तुम।।


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