वृद्धाश्रम की तरफ़ बढ़ते कदम
वृद्धाश्रम की तरफ़ बढ़ते कदम
क्या खता थी हमारी
जो हमनें अपना घर
तुम्हारे नाम किया,
बदले तुमनें हमे
वृद्धाश्रम भेज दिया।
क्या ग़ुनाह था हमारा
जो हमनें तुम्हें
पैरों पर खड़ा किया,
मग़र तुमने
हमारे काँपते पैरों को
यूँ ही लड़खड़ाने के लिये
छोड़ दिया।
क्या गलती थी हमारी
जो हमने अपनी ताउम्र
तुम्हरी तरबियत में गुजार दी,
मग़र तुमनें आख़िरी पड़ाव में
हमें ही छोड़ दिया।
क्या ख़ता थी हमारी
जो चलना सिखाया तुमको,
औऱ उन्हीं कदमों को तुमनें
हमारे लिये
वृध्दाश्रम की तरफ़ बढ़ाया।
हम ख़ामोश है क्योंकि
इस दर्द का एहसास
तुम्हें तब होगा,
जब इसी वृद्धाश्रम में
तुम्हारे बच्चों ने तुम्हें
छोड़ दिया होगा।
औलाद न होने का ग़म
इतना बड़ा नहीं होता है,
जितना कि औलाद होकर भी
आख़िरी वक्त पर
साथ न देने पर होता है।
