वक़्त भी हमसे खफ़ा होने लगा है
वक़्त भी हमसे खफ़ा होने लगा है
वक़्त भी हमसे अब कुछ खफ़ा खफ़ा सा रहने लगा है
मानो हमसे खफ़ा रहना वक़्त का शौक बन गया है
न जाने वक़्त को हमेशा ये फ़िक्र क्यूँ सताती रहती है
की दुनिया उनपर कोई इलज़ाम ना मढ़ने लगे
कोई कुछ ऐसा वैसा न कहने लगे
वक़्त उन्ही इल्ज़ामों के डर से
हमसे खफ़ा खफ़ा सा रहने लगा है
पर हां ये बात भी सच है
कि वक़्त को चाहे जितना खफ़ा होना हो
हमसे रूठना बिगड़ना हो दूर होना हो
हमें किसी दुनियादारी या किसी भी बात का डर नहीं है
हम तो बस हमेशा वक़्त के साथ खुश रहेंगे
ज़माने की किसी भी बेतुकी बातों की परवाह किये बिना
हमेशा हंसते मुस्कुराते हुए खुश रहेंगे
जीवन की तमाम बाधाओं से लड़ते हुए
वक़्त के साथ हमेशा आगे बढ़ते रहेंगे हम ll
