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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Others

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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

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वो समझते हैं हम

वो समझते हैं हम

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वो समझते हैं हम उन पर वार जायेंगे 

वो समझते हैं हम उनसे हार जायेंगे 

गालियां देते देते थक जायेंगे हमे वो 

हम तो वो हैं , जो सच् से पार जायेंगे !


इतनी गैरत नहीं, फिर ज़माने का क्या 

इतनी फुरसत नहीं, फिर बहाने का क्या 

आरजू अब क्यूँ करो, जो गर ठान लिय़ा 

इतनी मिन्नत नहीं, फिर ठिकाने का क्या !


काश पहले ही, उसे पहचान लिय़ा 

फितरत भी उसकी पहले जान लिय़ा 

हम तो हम है, उसकी बातों का क्या 

खाक कर देंगे, ऐसा अब मान लिय़ा !


कोई कितना भी सिकन्दर बने खुद को 

साजिशों का भी समन्दर बने खुद को 

इतनी आग सीने मे जलाये रखते हैं हम 

आग की बाढ ला देंगे ज़लाकार खुद को !


जब तक नहीं है रंज ज़िन्दगी से रब 

काट कर जीत रहे हैं बन्दगी से सब 

उनकी ज़िद को मिट्टी मे मिला छोडेंगे 

तब तक नहीं हैँ तंज ज़िन्दगी से रब !!


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