वो पुरानी सी
वो पुरानी सी

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वो पुरानी सी एक याद
आज फ़िर कहीं से लौट आई
वो पुरानी सी एक कमीज़
बारिश भी उसे भीगा ना पाई
वो पुरानी सी एक किताब
पढ़ी और आज भी उतनी ही भायी
वो पुरानी सी रिश्तों की आँच
आज भी उतनी ही काम आयी
वो पुरानी सी मिट्टी के बर्तन
खाने की महक और बढ़ा गई
वो पुरानी सी बल्ले की धार
आज भी गेंद पार करा गईं
वो पुरानी सी छांव पेड़ की
सुकून आज भी दिला गईं
वो पुरानी सी दिखती दीवार
अपने घर का एहसास दिला गईं
वो पुरानी सी एक याद
आज फ़िर कहीं से लौट आई