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Anjana Singh (Anju)

Others

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Anjana Singh (Anju)

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वो कागज़ की चिट्ठी

वो कागज़ की चिट्ठी

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आज चिट्ठियों का शायद

जमाना पुराना हो गया

दिल जज्बात की बातें 

लिखी जाती थी जिसमें

वों पुराना हो गया


माना की यें चिट्ठियां

देर सबेर पहुंचती थीं

पर स्याही से लिखी 

दिल की बातें 

इन चिट्ठियों में ही उतरती थी


इन प्यारीं चिट्ठियों का 

गुजर गया जमाना

पर हमारा इससे

रिश्ता बड़ा पुराना


वो मोबाइल का नहीं था जमाना

हर कलम का था फसाना

कागज पर लिखे संदेश

डिलीट नहीं हो पाते थे

गर फट भी गए तो

इसके अक्स टुकड़ों में दिख जाते थे


इसमें लिखी सुख दुख की बातें

कुछ लिखी प्यार भरी सौगातें

कभी मिलन बिरह की बातें

कभी गम खुशी की बातें

सब कुछ चिट्ठी में मिल जाते


चिट्ठी में रहता मन का प्यार

तय कर आती मीलों पार

छोटा सा यह उपहार

जुड़ जाते जिससे दिल के तार


प्रेम खुशबू में डूबी ये चिट्ठी

अपनेपन का सहारा होता था

बरसों सहेज कर रखा हुआ

यादों का पिटारा हुआ करता था


बिन मिलें लोग इसके 

शब्दों में घुल जाते थे

पुनः जवाब देने के लिए 

चिट्ठी लिखने बैठ जाते थे


चिट्ठियों की बातें 

होती थी खट्टी मीठी

डाकिए के संग सैर सपाटे

कर आ जाती थी चिट्ठी

चिट्ठी सुनाता कई संदेश

चाहें देश हो या विदेश


पल भर में कहां रास आता

दिल- ए -हाल बयां करना

दिल लिखना चाहता है

फिर‌ वही बिछड़ा तराना

कुछ जोड़ता सहेजता सा

शब्दों का राग पुराना


दिल चाहता है फिर वही चिट्ठी लिखने की

एक कशिश चिट्ठी के इंतजार की

एक इकरार जादू भरी लफ्जों की

फिर वही यादों और वादों की


मन एक बार फिर उन 

चिट्ठियों का जमाना है चाहता 

बे -सबर इंतजार का एक

बहाना चाहता है

आज फिर एक उम्मीद 

पालने को है जी चाहता 

आज फिर चिट्ठी 

लिखने को है जी चाहता 


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