वो दोस्त
वो दोस्त
वो दोस्त अक्सर याद आते है,
हांथो में हाँथ था
कुछ कदमों का साथ था।
कुछ भोली सी शरारतें,
वो शान्त क्लास की बातें।
वो recces से पहले के आलू पराठे,
वो recces के छोले समोसे
अक्सर ही याद आते है
वो कॉमिक्स का पकडना
और माँ के हाँथों से फटना।
वो बचपन का जज्बा
वो 'आसमान' की चाहत
अक्सर याद आती है
वो बारिश की टिप टिप,
वो सैकल पर भीगना
वो टपरी के पकोड़े
वो चाय की चुस्की
अक्सर याद आती है।
परदेश से लिखना और यादों को बुनना
अक्सर याद आता है
वो परदेश में देश का सान्निध्य
कंधे के सहारे का 'तिनके'सा लगना
वो डूबती हुई आस पर "मैं हूं न की" पतवार।
अक्सर याद आती है
वो दोस्त अक्सर याद आते हैं।
जो आज मुझसे हैं कोसो दूर
पर मन मस्तिष्क पर छाये हैं
और आज कुछ कुछ पराये हैं
पर दोस्त, तो दोस्त ही है
अक्सर याद आते हैं