जो आज मुझसे हैं कोसो दूर पर मन मस्तिष्क पर छाये हैं और आज कुछ कुछ पराये हैं पर दोस्त, तो दोस्त ... जो आज मुझसे हैं कोसो दूर पर मन मस्तिष्क पर छाये हैं और आज कुछ कुछ पराये हैं ...
शाम होते ही बैठ जाते थे सभी चौपाल पर, उस वक़्त का वो ज़माना अच्छा लगता था। शाम होते ही बैठ जाते थे सभी चौपाल पर, उस वक़्त का वो ज़माना अच्छा लगता था।