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PrajnaParamita Aparajita

Others

4.2  

PrajnaParamita Aparajita

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वो भी एक वक़्त था....

वो भी एक वक़्त था....

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लोग क्या कहेंगे ??

बस यही खा जाती है ज़िंदगी ...

कुछ अच्छा लगा पहन लूँ ...हाँ नहीं....

छोड़ो नहीं पहनते .. क्यूँ कि ..

जाने लोग क्या कहेंगे ...


चलो दोस्तों के साथ बाज़ार घूम आएँ,

कुछ पसंद का खा लें,थोड़ा हंस लें,

पर छोड़ो......

घर तक जाने बात क्या होके पहुंचेगी..तमाशा होगा , फिर???

जाने लोग क्या कहेंगे...


मन किया कुछ अलग सा सीख लूँ,

सबसे हटके ख़ासियत तो हो मुझ में, 

मन तो था पर कहा ...नहीं छोड़ो...

जाने लोग क्या कहेंगे,.....


जो पढ़ने को कहा उससे हटके कुछ पढ़ने का मन तो था, 

पर ना कह नहीं पाए ,क्यूँ की माँ बाप की ना मानी तो,

जाने लोग क्या कहेंगे......


शादी क्या होती है पता ही नहीं में शादी हो गयी,

वक़्त तक असमंजस में गुजरी, पर अब बोलें भी तो क्या???

क्यूँ कि.....

जाने लोग क्या कहेंगे....


लोग क्या कहेंगे जपते जपते, उम्र लम्बी निकल गयी...

आज तजुर्बा की हिम्मत बोले कुछ करूँ,फिर अंदर आहिस्ते कोई बोला ...

कुछ भी कर लो लोग तो कहेंगे ही....

अब वो वक़्त कहाँ ..

वो एक दौर भी खूबसूरत था ,

प्यार, अपनापन बेपनाह था,

दिल के क़रीब वो दौर आज भी है,

नुक़्स निकालूँ भी कैसे..

मोहब्बत तो आज भी है... भले ही लोग कुछ भी कहें .....



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