वन्स मोर क्या कहने।।
वन्स मोर क्या कहने।।
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तारीफ़ चचा की क्या कर दी हमने,
रोज़ मिले तो बिन थके लगे सुनाने।
गीत,ग़ज़ल,मय -लय और तराने,
बस वाहहह वाहहह कर दी थी हमने।
ये भी कहा था वन्स मोर ,क्या कहने,
हम बच कर अब तो उनसे लगे निकलने।
गली- मुहाने पर चचा कविता न लगे सुनाने,
तान निशाने कविताओं के गोले लगे न दागने!
वाह कह न फंसे फिर से, लगें हाथ न हम उनके,
जान फंसे 'आ बैल मुझे मार' लग न जाएं रटने।