वक्त
वक्त
मैं सोच रहा हूँ कुछ वक्त लेकर
की इस वक्त का आखिर काम है क्या
ये वक़्त जो कब से चल रहा है
इस वक्त का आखिरी मुकाम है क्या
मैं सोच रहा हूँ कुछ वक्त लेकर
की इस वक्त का आखिर काम है क्या
कोई तो पल होगा ना यहाँ
जो पहले पल का निर्माण बता दे
वो पल जो तुजको मिल जाये
तो उसको मेरा नाम बता दे
मैं पूछूंगा उस पल से
की इस वक्त पे उसका बयान है क्या
मैं सोच रहा हूँ कुछ वक्त लेकर
की इस वक्त का आखिर काम है क्या
ये वक्त भी कैसा नाप है
जिसका कोई परिमाण ना हो
हम लिख रहे तारीख पे तारीख
फिर भी पक्का हिसाब ना हो
कई बार तो शक होता है
की अनदेखे इस ब्रह्माण्ड में
ये वक्त कोई मिराज ना हो
सिलसिला क्यों रुकता नहीं ये
ऐसी भी उसकी शर्त है क्या
मै पूछता हूँ इस सूरज से
की वक्त से उसका कर्ज़ है क्या
मैं सोच रहा हूँ कुछ वक्त लेकर
की इस वक्त का आखिर काम है क्या
ये काल तो एक जाल सा है
हर शख्स का अपना हाल सा है
चाल तो इन काँटों की एक ही होती है
तो हर चाल मे आखिर फर्क है क्या
में शतरंज खेलूँ इस वक्त के साथ
बस उसकी चाल समझने को
की इस चाल का वह आयाम है क्या
मैं सोच रहा हूँ कुछ वक्त लेकर
की इस वक्त का आखिर काम है क्या
माँग के देखा जब उन मौत के सौदागर से
तब जाकर के पता चला
की इस वक्त का आखिर दाम है क्या
मै भूल ही गया इस वक्त की गहरी सोच मे
की मेरी मौत का भी एक वक्त है क्या