विषय-सामाजिक संवेदना
विषय-सामाजिक संवेदना
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मां !
मुझे जन्म लेने दो।
वात्सल्य प्रेम पाने दो।।
बनूंगी आंखों का तारा,
अश्रु न बहेगी खारा।।
प्यासी हूं तेरी मातृत्व की,
चाहूं मिले प्रेम पितृत्व की।
अपनी बगिया में आने दो,
खुशबू अच्छी फैलाने दो।।
बनूंगी न परिवार का भार,
करूंगी कष्टों का नैया पार।
शिक्षा से बनूंगी आत्मनिर्भर,
साथ न छोड़ूंगी पल भर।
मुझे भी आंचल का छांव दो।
गोद में भोली सूरत को ठांव दो।।
लें आशीष उड़ूंगी गगन स्वछंद,
खोलूंगी विकास के दरवाजे बंद।
बुझने न दूंगी सम्मान का दीया,
कर्तव्य बोध भरी रखूंगी हिया।
मां मुझे जन्म लेने दो।
वात्सल्य प्रेम पाने दो।।
