STORYMIRROR

Reetu Devi

Others

4  

Reetu Devi

Others

विषय-सामाजिक संवेदना

विषय-सामाजिक संवेदना

1 min
348


मां !

मुझे जन्म लेने दो।

वात्सल्य प्रेम पाने दो।।

बनूंगी आंखों का तारा,

अश्रु न बहेगी खारा।।

प्यासी हूं तेरी मातृत्व की,

चाहूं मिले प्रेम पितृत्व की।

अपनी बगिया में आने दो,

खुशबू अच्छी फैलाने दो।।

बनूंगी न परिवार का भार,

करूंगी कष्टों का नैया पार।

शिक्षा से बनूंगी आत्मनिर्भर,

साथ न छोड़ूंगी पल भर।

मुझे भी आंचल का छांव दो।

गोद में भोली सूरत को ठांव दो।।

लें आशीष उड़ूंगी गगन स्वछंद,

खोलूंगी विकास के दरवाजे बंद।

बुझने न दूंगी सम्मान का दीया,

कर्तव्य बोध भरी रखूंगी हिया।

मां मुझे जन्म लेने दो।

वात्सल्य प्रेम पाने दो।।

         


Rate this content
Log in