विश्लेषण
विश्लेषण


आज़ादी का उदय हुआ
हर गुंचा था खिला खिला
पंख मिले माँ भारती को
धरती ने आसमा छू लिया
आँखों में तैर गए सपने
ग़ैर भी अब होगे अपने
बात करेंगे अब तो खुल कर
जीवन बनेगा और भी बेहतर
बेहतर हुए हम साल दर साल
विश्व दे रहा अपनी मिसाल
छू लिए प्रगति के आयाम
उँचा रखा माँ भारती का भाल
हज़ारों वीरों ने हंस हंस कर
मौत को गले लगाया था
तब कहीं जा कर
आज़ादी का परचम लहराया था
क्या उस आज़ादी पर
खरे उतरें है हम ??
आओ मिल कर करे
आज उसका विश्लेषण
आज़ादी केवल अधिकारो तक ही क्यों ??
दौलत के ठेकेदारों तक ही क्यों ??
कितने संकुचित हो गये मायने
केवल खोखले विचारों तक ही क्यों ??
भेद भाव में लिपटी
जंग लगी तलवारों तक ही क्यों ??
मानसिक ग़ुलामी की
कट्टर दीवारों तक ही क्यों ??
आओ विचारें आज ये प्रश्न
हौसला है तो कुछ भी नहीं कठिन
मुक्त होंगे इस ग़ुलामी से
आज मिल कर करे ये प्रण
देश राग अब गाना होगा
क़दम दर क़दम बढ़ाना होगा
“मैं “की मानसिकता को त्याग
“हम”को गले लगाना होगा
सब विकारों से उपर उठ कर
जन जन को चेताना होगा
आत्म विवेक का दीप जला कर
नई सुबह को लाना होगा!!!!!!